कला केवल यथार्थ की नकल का नाम नहीं है |
कला दिखती तो यथार्थ है , पर यथार्थ होती नहीं |
उसकी खूबी यही है की यह यथार्थ मालूम हो |
- मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम लेखक हैं। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
आधुनिक हिन्दी के पितामह माने जाने वाले हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव को आज पुण्यतिथि पर बलप्रदा परिवार की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि...
कला दिखती तो यथार्थ है , पर यथार्थ होती नहीं |
उसकी खूबी यही है की यह यथार्थ मालूम हो |
- मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महानतम लेखक हैं। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
आधुनिक हिन्दी के पितामह माने जाने वाले हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद उर्फ़ धनपत राय श्रीवास्तव को आज पुण्यतिथि पर बलप्रदा परिवार की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि...