Balprada Jansewa Ashram TRUST
►पेचिश Dysentery : www.balpradagroup.com
गूलर की कोमल पत्तियों का 10 से 15 मिलीलीटर रस सेवन करें।
►कमजोरी, बल, वीर्य की कमी Weakness : www.balpradagroup.com
गूलर की छाल का पाउडर + मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।
इसे रोज़ दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।
►शुक्राणुओं की कमी Low sperm count : www.balpradagroup.com
गूलर के दूध की 20 बूंदे + छुहारे के साथ खाने से शुक्राणु की संख्या बढ़ती है।
►सफ़ेद पानी/ श्वेत प्रदर Leucorrhoea : www.balpradagroup.com
गूलर के सूखे फल + मिश्री, को शहद के स्थ चाटने से लाभ होता है।
►प्रदर, प्रमेह Urinary disorders : www.balpradagroup.com
गूलर के ताज़े फल का रस + शहद/शक्कर, के साथ सुबह और शाम लेने से प्रदर में लाभ होता है।
►कफ, कफ की अधिकता Excessive cough : www.balpradagroup.com
गूलर के दूध latex को मिश्री + शहद के साथ, दिन में तीन बार खाएं।
►बच्चों का सूखा रोग : www.balpradagroup.com
गूलर का दूध, बताशे में रख कर खाने से लाभ होता है।
►ह्रदयविकार : www.balpradagroup.com
गूलर के पत्ते क रस नियमित पियें।
►लीवर के रोग, वात-विकार : www.balpradagroup.com
गूलर के पत्ते का रस नियमित पियें।
►प्रदर रोग Leucorrhoea, कमजोरी, वीर्यपात Spermatorrhea :
गूलर के पत्ते का रस एक कप की मात्रा मे नियमित पियें।
►जलने पर : www.balpradagroup.com
गूलर की पत्ती का लेप प्रभावित हिस्से पर लगायें।
►रक्त स्राव, चोट Bleeding : www.balpradagroup.com
खून निकलने पर पत्ते का रस प्रभावित हिस्से पर लगाने से खून का निकलना बंद होता है।
#स्वास्थ्य #आयुर्वेद #Ayurved #बलप्रदा #Balprada #Kidney #Liver #Cancer
►पेचिश Dysentery : www.balpradagroup.com
गूलर की कोमल पत्तियों का 10 से 15 मिलीलीटर रस सेवन करें।
►कमजोरी, बल, वीर्य की कमी Weakness : www.balpradagroup.com
गूलर की छाल का पाउडर + मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।
इसे रोज़ दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।
►शुक्राणुओं की कमी Low sperm count : www.balpradagroup.com
गूलर के दूध की 20 बूंदे + छुहारे के साथ खाने से शुक्राणु की संख्या बढ़ती है।
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गूलर के सूखे फल + मिश्री, को शहद के स्थ चाटने से लाभ होता है।
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गूलर के ताज़े फल का रस + शहद/शक्कर, के साथ सुबह और शाम लेने से प्रदर में लाभ होता है।
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गूलर के दूध latex को मिश्री + शहद के साथ, दिन में तीन बार खाएं।
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गूलर का दूध, बताशे में रख कर खाने से लाभ होता है।
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गूलर के पत्ते क रस नियमित पियें।
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गूलर के पत्ते का रस नियमित पियें।
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गूलर के पत्ते का रस एक कप की मात्रा मे नियमित पियें।
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गूलर की पत्ती का लेप प्रभावित हिस्से पर लगायें।
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खून निकलने पर पत्ते का रस प्रभावित हिस्से पर लगाने से खून का निकलना बंद होता है।
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