Tuesday, 7 January 2020

स्वर्गीय वैद्य श्री विजय पाल सिंह जी (जन्म 06 जुलाई सन 1967 -- परम शक्ति मे विलीन - 15 दिसम्बर सन 2019)


नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।
गीता मे श्री कृष्ण कहते हैं आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सुखा नहीं सकती। ठीक उसी प्रकार न विचार मिटते हैं और ना ही संसार से सकारात्मकता को समाप्त किया जा सकता है और न ही आप हमसे कभी दूर जा सकते हैं...

परम आदरणीय वैद्य जी प्रणाम स्वीकार करें, मन नहीं मानता किन्तु शायद यह सत्य है की भौतिक रूप मे आज आप हमारे साथ नहीं हैं परंतु आपके विचार, आपकी अनश्वर सकारात्मकता, आपकी असीम ऊर्जा, आपके संकल्प और सबसे अधिक महत्वपूर्ण आपका आशीर्वाद सदैव आपके बलप्रदा परिवारके साथ है और सदैव रहेगा। हम आपके स्वर्णिम स्वप्न को पूर्व की भांति ही या उससे भी अधिक दृढ़ता और संकल्पता के साथ पूर्ण करने मे जुटे रहेंगे।

आपकी पावन स्मृतियों को कोटी-कोटी
नमन कोटी-कोटी वंदन श्रद्धेय वैद्य जी बलप्रदा परिवार

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