Sunday, 5 June 2016

पीपल (Kidney Failure, Liver Failure Treatment, Kidney Failure Ayurvedic Treatment at Balprada Ashram)

अत्यंत लाभकारी होता है पीपल-
आयुर्वेदानुसार पीपल कसैला, शीतल, मधुर, भारी, रुक्ष, शरीर का वर्ण निखारने वाला, काफ, पित्त, एवम रक्तदोष नष्ट करने वाला एवम पौष्टिक गुण युक्त है. यह सभी प्रकार कि दुर्बलता, रक्त विकार एवम चर्मरोगों में, दन्त एवम मसूड़ों के दर्द निवारणार्थ, यकृत – प्लीहा की बिमारियों में भी अत्यंत लाभकारी है.
पीपल के लिए अत्यंत प्रभावकारी प्रयोग...
पुरुष रोगों में-
पीपल पर लगने वाला फल छाया में सुखा कर पीस कर मैदा छानने वाली चलनी से छान लें. इसके एक चौथाई चम्मच को 250 ग्राम दूध में मिलाकर पियें. इस के नियमित सेवन से वीर्य बढ़ता है तथा नपुंसकता दूर होती है. बहुमूत्र की समस्या सही होगी एवम कब्ज रोग सही होगा.
पीपल की अन्तर्छाल स्तंभक एवम वीर्यवर्धन का गुण रखती है. इसके लिए इसकी अन्तर्छाल का काढ़ा बना कर पीना चाहिए.
स्त्री रोगों में-
इसके फल को छाया में सुखाकर मैदे की तरह एक पाव दूध के साथ लेने से बंध्या स्त्री सेवन करें तो संतान उत्पन्न होगी. योनी रोग, मासिक धर्म के विकार दूर होंगे, प्रमेह, प्रदर, सफ़ेद पानी.
बांझपन और गर्भ शोधन में-
बांझपन में या गर्भ शोधन के लिए स्त्री को रजोनिवृति के बाद लगातार 5 दिन तक हर रोज़ पीपल के एक ताज़े पत्ते को गाय के दूध में उबालकर पीने से गर्भाशय शुद्ध होता है और गर्भ स्थापना होने पर उत्तम संतान उत्पन्न होती है. जब तक गर्भ स्थापना ना हो यह प्रयोग हर महीने करना चाहिए. इसके लिए हर बार नया ताज़ा पत्ता इस्तेमाल करें.
दांत एवम मसूड़ों के लिए
पीपल एवम बरगद की अन्तर्छाल को बराबर लेकर कर काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से दांत एवम मसूड़ों के रोगों में प्रयाप्त लाभ होता है. मसूड़ों की सूजन, खून का आना, मसूड़ों से मवाद का आना इत्यादि रोगों में यह परम लाभकारी है.

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