युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥
(श्रीमद्भगवद्गीता ६.१७)
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥
(श्रीमद्भगवद्गीता ६.१७)
अर्थात,
जो व्यक्ति युक्त आहार और विहार करने वाला है, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाला है तथा परिमित शयन और जागरण करता है, ऐसे योगी का 'योग' उसके समस्त दुःखों का नाश कर देता है।
जो व्यक्ति युक्त आहार और विहार करने वाला है, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाला है तथा परिमित शयन और जागरण करता है, ऐसे योगी का 'योग' उसके समस्त दुःखों का नाश कर देता है।
योग सम्पूर्ण विश्व को भारत देश का उपहार है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दुनिया के हर कोने में भारतवर्ष प्रदत्त कला, विज्ञान और अध्यात्म के इस अद्भुत सम्मिश्रण का जयनाद सुनाई दे रहा है। #योग का शब्दार्थ ही 'जोड़ना' है। हमें घृणा से विभक्त करने वाली हर शक्ति को परस्पर प्रेम का योग सूचित करने से ही आज का दिन सार्थक हो सकेगा। विश्व को जोड़ने वाले इस सूत्र की जय हो।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवसपर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई -- बलप्रदा परिवार 🙏🇮🇳
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