Saturday, 27 June 2020

#वैद्यराज_जीवक

वैद्यराज जीवक की गणना भारत के प्रख्यात वैद्यों में होती है। वे भगवान बुद्ध के व्यक्तिगत चिकित्सक थे ।
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जीवक जब तक्षशिला के गुरुकुल में अपनी शिक्षा पूर्ण करने को हुए तब उनके आचार्य ने उन्हें एक फावड़ा दिया कि विश्वविद्यालय परिसर के एक योजन परिधि से उन पौधों को खोद के हटा दो जिनका कोई औषधीय उपयोग न हो। जीवक कई दिन बाद लौट कर आये और गुरु जी के समक्ष निराश होकर बोले कि मुझे ऐसा कोई पौधा नहीं मिला जिसका औषधीय उपयोग न हो। आचार्य ने कहा जाओ अब तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हुई।
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जीवक अनाथ थे और कूड़े के ढेर पर पाये गये थे। कुछ सूत्र उन्हें आम्रपाली का पुत्र भी बताते हैं। तक्षशिला में उनके पास गुरुदक्षिणा देने के लिये भी भी कुछ न था, आचार्य ने ही उन्हे राजगृह तक जाने का पाथेय दिया। रास्ते में एक सेठ की पत्नी के सिर में अधकपारी का पुराना दर्द था जिसे उन्होंने कुछ जड़ी बूटी घी में गर्म करके नस्य दिया और कुछ ही दिन में ठीक कर दिया। आगे काशी में एक रोगी की खोपड़ी खोल कर उसमें से दो कीड़े निकाल कर उन्होंने बड़ी ख्याति अर्जित की। वापस मगध तक आते आते वह विख्यात वैद्य हो चुके थे। सम्राट बिम्बिसार ने उन्हें अपना राजवैद्य नियुक्त किया ।
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आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद माना जाता है । अत्यंत प्राचीन काल से भारत में पाये जाने वाली वनस्पति मृदा वनोपज और अन्य श्रोतों से औषधियों का विकास किया गया । भारत की इंच इंच धरती वनस्पतियों से अटी पड़ी थी तो औषधियों की भी भरमार थी । अब तो बहुत सी औषधियाँ पहचानने वाले नहीं रहे । च्यवनप्राश में उपयोग होने वाले अष्टवर्ग की एक औषधि तो वैद्यराज जीवक के नाम से जीवक ही बोली जाती है , शेष ऋषभक काकोली क्षीरकाकोली मेदा महामेदा ऋद्धि और वृद्धि में से अधिकतर विलुप्त हो गयी हैं और उनके विकल्प प्रयोग किये जा रहे हैं ।
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संखिया कुचला और सींगिया को सरसों के तेल में क्षार करके एक दवा बनती थीं जो एक्ज़िमा की रामबाण दवा थी । अनेक पीड़ित रोगियों की काया इस दबा ने कंचन काया कर दी । भारत पर विदेशी आक्रांताओं ने यहाँ के शिक्षण संस्थान फूँक डाले और अपने भी बनाये नहीं लेकिन ग्रामीण भारत इतनी सदियों तक आयुर्वेद के नुस्खों के सहारे ही जीवित रहा ।
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शंखपुष्पी और पुनर्नवा जैसी औषधियाँ खेतों खलिहानों में बिखरी रहती हैं। अब जीवन की दिशा बदल गई तो उधर ध्यान नहीं जाता ।
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आज जब एंटीबायोटिक बेकार हो चुकी हैं, जीवाणुओं का कारोबार विषाणुओं के हाथ आ लगा है तो केवल आरोग्यवर्द्धक औषधियाँ ही आशा की किरण हैं। आयुर्वेद का हज़ारों वर्षों का इतिहास ही आरोग्य और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का रहा है।
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🙏🏼साभार किन्तु संपादित🙏🏼
🙏🏼सर्वे संतु निरामया: 🙏🏼🚩

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Monday, 22 June 2020

मुंह का बिगड़ा है स्वाद? आइये करते हैं घरेलू औषधियों से उपचार...

• नींबू :
नींबू को काटकर उसकी एक फांक में 2 चुटकी काला या सेंधानमक और कालीमिर्ची को भर लें। फिर इस नींबू के टुकड़े को धीमी आंच पर सेंककर चूसने से मुंह की कड़वाहट दूर होकर मुंह का स्वाद ठीक हो जाता है तथा पेट की गड़बड़ी व बदहजमी की शिकायत दूर हो जाती है।
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• लौंग :
मुंह का स्वाद खराब होने पर लौंग को मुंह में रखकर चबाते रहने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता है।
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• कालीमिर्च :
2 कालीमिर्च को मुंह में रखकर चबाने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता है और जी नहीं मिचलाता है। इससे हकलाहट की शिकायत भी दूर हो जाती है।
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• अदरक :
1 चम्मच अदरक के रस को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुंह की दुर्गंध व बिगड़ा स्वाद का रोग दूर हो जाती है।
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• अकरकरा :
अकरकरा, माजूफल, नागरमोथा, भुनी हुई फिटकरी, काली मिर्च और सेंधानमक कों बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस मिश्रण से प्रतिदिन मंजन करने से दांत और मसूढ़ों के व मुँह के स्वाद के सब विकार दूर होकर दुर्गंध भी मिट जाती है।
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• पोदीना (पुदीना) :
पुदीना चबाकर खाने से दांतों के बीच छिपे भोजन के कण दूर होते है मुँह का बिगड़ा स्वाद , दुर्गंध नस्ट और मुंह की सफाई भी हो जाती है।
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• अनार :
मुंह से दुर्गन्ध आती हो अथवा मुंह से पानी आता हो तो 4 ग्राम अनार के पिसे हुए छिलकों को सुबह-शाम ताजा पानी से लेने और छिलका उबालकर कुल्ला करने से लाभ होता है।
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• मुनक्का :
कफ विकृति या अजीर्ण के कारण मुंह से दुर्गंध आती है तो 5-10 ग्राम मुनक्का नियमित खाने से मुँह का स्वाद बिगड़ना, दुर्गंध दूर हो जाती है।
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Sunday, 21 June 2020

हीमोग्लोबिन की कमी (खून की कमी) के कारण, लक्षण और उपचार...

हीमोग्लोबिन की कमी का सबसे प्रमुख कारण पौष्टिक खाने की कमी को ही माना जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी की यदि हम बात करें तो यह अक्सर तब हो जाती है जब खून में आयरन की कमी हो जाती है | हीमोग्लोबिन की कमी ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से अन्य बहुत सारी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

हीमोग्लोबिन में लौह (आयरन) तत्व की कमी के कारण और पौष्टिक भोजन की कमी व हरी पत्तों वाली सब्जियों के न मिलने के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है। अगर शरीर को जरूरत के हिसाब से विटामिन वाला भोजन न मिले तो शरीर में खून की कमी के कारण रोग हो जाता है जिसे रक्तचाप (एनीमिया) रोग कहा जाता है।★ मलेरिया, अतिरज, खून का बहना, आंते सड़ना, जुकाम, भूख कम लगना, शूगर, स्नायविक कमजोरी, लंबी बीमारी आदि के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है।
इसके अलावा कुछ बीमारियों के कारण भी शरीर में खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है --

• खून में हीमोग्लोबिन की कमी के सामान्य लक्षण :-

★ नाखून पतले, खुरदरे व चपटे हो जाते हैं तथा उनमें लम्बी-लम्बी धारियां सी पड़ सकती हैं
★ सिर दर्द बना रहना
★ हल्के एनीमिया(खून की कमी) में लक्षण कम नज़र आते हैं
★ सांस लेने में तकलीफ होना या साँस का फूलना
★ चक्कर आना एनीमिया से ग्रसित व्यक्ति में एक सामान्य लक्षण है
★ खून की कमी या एनीमिया में हृदय की धड़कन तेज होने के अलावा चिडचिड़ापन भी हो सकता है
★ छाती में हलका या तेज दर्द होना एवं सीने में ऐठन होना
★ त्वचा व नाखूनों का पीला होना
★ आंखें का पीली हो जाना
★ आखों के सामने अँधेरा छाना
★ हाथों और पैरों का ठंडा हो जाना
★ एनीमिया से ग्रसित व्यक्ति में संक्रामक रोग जल्दी जल्दी होने का खतरा रहता है
★ कमजोरी और थकावट महसूस होना

*शरीर में कमजोरी उत्पन्न होना, चेहरे की चमक खत्म होना, काम में मन नहीं लगना, शरीर थका-थका रहना, भूख न लगना, पेट की सफाई न होना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। स्त्रियों में खून की कमी के कारण `मासिक-धर्म´ समय से नहीं होता है और खून की कमी के कारण कभी-कभी `मासिक-धर्म´ रुक भी जाता है। खून की कमी बच्चों में हो जाने से बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं जिसके कारण बच्चों के शरीर का विकास नहीं हो पाता। बच्चों का दिमाम इतना कमजोर हो जाता है कि उसकी याददास्त कमजोर हो जाती है जिसके कारण बच्चे पढाई में पिछड़ने लगते हैं। शरीर में खून की कमी होने से चेहरे का रंग पीला, सूजन, सांस लेने में कठिनाई तथा पैरों में सूजन आदि बीमारी हो जाती हैं।खून की कमी होने के कारण सिर दर्द, दिल की कमजोरी, हाथ-पैरों की कमजोरी, पीलिया, दृष्टिहीनता (आंखों की रोशनी कम होना) ★ ★ हीनरक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर), खून में खराबी आदि रोग सामने आते हैं और ज्यादा परेशानी में कमजोरी के बढ़ जाने पर दिल के रोग आदि से रोगी की मृत्यु हो सकती है।*

*विभिन्न औषधियों से उपचार-*

* मीठा दलिया: मीठा दलिया बिना दूध का दिन में तीन बार एक एक कटोरी खाएं। दलिए को बिना घी के भूनना और उसके बाद उसको पानी में उबालना फिर आवश्यकतानुसार मीठा डालकर उसको खाना। दूध घी अथवा कोई भी चिकनाई उसमें प्रयोग नहीं करनी।
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*सहजन: सहजन के पत्तों को तोड़कर उसकी सब्जी बनाकर खाने से शरीर में लौह (आयरन) तत्व की कमी दूर होती है और शरीर में खून की कमी के कारण होने वाली बीमारी खत्म होती है।*
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*पीपल: पीपल का दूध बताशे में 4 बूंद डालकर खाने से खून की कमी दूर होती है तथा खून की कमी के कारण हुए रोग समाप्त हो जाते हैं।*
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*चीकू: शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए प्रतिदिन 3 से 4 चीकू 8 से 10 दिन तक खायें।*
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*आंवला : आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद और थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीने से लाभ होता है।*
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*आंवला चूर्ण : आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम रोजाना शहद के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है। खून के रोगी को एक चम्मच आंवले का चूर्ण और 2 चम्मच तिल के चूर्ण लेकर शहद के साथ मिलाकर खिलाने से 1 महीने में ही रोग में लाभ होता है।*
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*अनार: खून की कमी को दूर करने के लिए, अनार के जूस में थोड़ी-सी कालीमिर्च और सेंधानमक को मिलाकर पीने से लाभ होता है।*
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*पपीता: पपीते का गुदा 200 ग्राम प्रतिदिन खायें। इसका प्रयोग लगातार 20 दिनों तक करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।*
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*आम: 1 गिलास दूध और 1 कप आम के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम पीने से लाभ प्राप्त होगा। 300 मिलीलीटर आम का जूस प्रतिदिन पीने से खून की कमी दूर होती है।*
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*आलूबुखारा: आलूबुखारे का रस निकालकर 2 गिलास रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खून की कमी (एनीमिया) खत्म हो जाती है।*
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*चुकन्दर : चुकन्दर थेरेपी के तहत पहले ध्यान रहें कि 2 दिनों तक उपवास रखें। इसके बाद 3 दिन तक किसी भी फल के जूस पर रहें। इसके बाद 200 मिलीलीटर चुकन्दर, 200 मिलीमीटर गाजर का रस दिया जाता है। यह मात्रा एक दिन के लिए होती है। शरीर में रक्त की कमी होने पर यह प्रयोग बहुत ही लाभकारी है। 1 गिलास चुकन्दर का रस निकालकर प्रतिदिन पीने से खून की कमी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है।*
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*कालीमिर्च: कालीमिर्च को कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर रखें। 1-2 टमाटर काटकर उस पर सेंधानमक और कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाना खून की कमी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है।*
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*गाजर: खून की कमी (एनीमिया) से पीड़ित रोगियों को 200 मिलीलीटर गाजर के रस में 100 मिली लीटर पालक का रस मिलाकर पिलाने से बहुत लाभ मिलता है।*
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*गन्ना: गन्ने के रस में 5 मिलीलीटर आंवले का रस और 5 ग्राम शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर हो जाती है।*
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*सत गिलोय: सत गिलोय लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम देने से खून के रोग में लाभ होता है।*
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*आंवला: आंवला रस को अच्युताय अश्वगंधा चूर्ण के साथ प्रतिदिन लेने से खून की कमी दूर होती है।*
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*अंगूर: 100 मिलीलीटर अंगूर का जूस (रस) पीने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।*
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*बेल : बेल के पत्तों के 5 ग्राम रस में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पाचनशक्ति ठीक होती है और खून में वृद्धि होती है।*
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*शहद: 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम आंवला को 200 मिलीलीटर गन्ने के रस में मिलाकर पीने से खून के रोग में लाभ होता है।*
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*मुलहठी: मुलहठी का चूर्ण आधा ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से खून में वृद्धि होती है।*
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*मेथी: मेथी, पालक और बथुआ आदि प्रतिदिन सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है।*
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*मेथी की भाजी बनाकर खाने से खून साफ होता है, क्योंकि मेथी के अन्दर आयरन प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए एनीमिया या रक्त की कमी में यह बहुत उपयोगी होती है।*
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*कलौंजी: एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबालकर छान लें और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर, रोज भूखे पेट सुबह व रात में सोते समय 21 दिन तक सेवन करें। खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग न करें।*
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*गिलोय : गिलोय का रस सेवन करने से खून की कमी (एनीमिया) दूर होती है। एक चौथाई ग्राम की मात्रा में गिलोय, शहद और गुड़ के साथ सुब-शाम सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।*
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*गुड़हल:1-1 चम्मच गुड़हल के सूखे फूलों के चूर्ण को 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना पीने से कुछ ही महीने में खून की कमी दूर होकर शारीरिक स्फूर्ति और ताकत में वृद्धि होती है।*
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*पुनर्नवा: पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण, मुनक्का और हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम 1 कप दूध के साथ सेवन करने से खून की कमी के रोग में लाभ होता है।*
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*सिंघाड़ा : सिंघाड़ा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो शरीर को शक्ति देने के साथ-साथ शरीर प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, खनिज और लौह की कमी पूरी करता है। कच्चे सिंघाड़े का सेवन शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है।*
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*जामुन : जामुन का रस और आंवले का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।*
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*गुड़ : गुड़ का सेवन करना भी एक बेहद उत्तम तरीका है. गुड़ में आयरन फोलेट और कई विटामिन बी शामिल हैं जो हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाने के लिए और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मददगार होते हैं|*
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*अंजीर : 3 से 5 अंजीर को दूध में उबालकर या अंजीर खाकर दूध पीने से हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढती है |*
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*तिल : दो घंटे के लिए 2 चम्मच तिलों को पानी में भिगों लें और बाद में पानी से छानकर इसका पेस्ट बना लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार सेवन करें।*
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*अश्वगंधा : 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को आँवले के 10 से 40 मि.ली. रस के साथ लेने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।*
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*किसमिश: एक गिलास पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें 20 से 25 दाने किसमिश रात्रि में भिगो दें। सुबह छानकर पानी पी जायें एवं किसमिश चबा जायें। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।*

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चैत्र नवरात्रि 2022

आप सभी को #बलप्रदा परिवार की ओर से #चैत्र #नवरात्रि की अनेक शुभकामनायें....