खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है,
जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ते रहने की लगन का ! - मुंशी प्रेमचंद्र
आज हमारे कलम के सिपाही का जन्मदिवस है, हिंदी साहित्य को इन्होंने न सिर्फ नए आयाम दिए अपितु जिस सरलता से सामान्य मानव के जीवन और उनकी संवेदनाओं को हम सभी तक पहुँचाया है इससे सीखकर हम बेहतर मनुष्य बन कर अपना बेहतर चरित्र निर्माण कर सकते हैं!
आप यदि जीवन के सरल पहलुओं व ग्रामीण भारत का एक गहरा चरित्र देखना चाहें तो मुंशी जी के साहित्य का आलिंगन अवश्य करें।
मुंशी प्रेमचंद्र जी के जन्मदिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें! 🙏🙏
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